राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। सम्पूर्ण भारतवर्ष आपको प्यार से बापू पुकारता है।
आपका जन्म 2 अक्टूबर को पोरबंदर में हुआ था। देश की स्वतंत्रता में आपकी विशेष भूमिका रही है।
गांधीजी के पिता करमचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। आपकी माता का नाम पुतलीबाई था। वह धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
आपने स्वतंत्रता के लिए सदैव सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और आंदोलन किए। गांधीजी ने वकालत की शिक्षा इंग्लैंड में ली थी। वहां से लौटने के बाद आपने बंबई में वकालत शुरू की। महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
गांधीजी की 30 जनवरी को प्रार्थना सभा में नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी। महात्मा गांधी की समाधि दिल्ली के राजघाट में है।
आपका जन्म 2 अक्टूबर को पोरबंदर में हुआ था। देश की स्वतंत्रता में आपकी विशेष भूमिका रही है।
गांधीजी के पिता करमचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। आपकी माता का नाम पुतलीबाई था। वह धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
आपने स्वतंत्रता के लिए सदैव सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और आंदोलन किए। गांधीजी ने वकालत की शिक्षा इंग्लैंड में ली थी। वहां से लौटने के बाद आपने बंबई में वकालत शुरू की। महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
गांधीजी की 30 जनवरी को प्रार्थना सभा में नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी। महात्मा गांधी की समाधि दिल्ली के राजघाट में है।
गांधीजी के जीवन के विशेष घटनाक्रम
(2 अक्तूबर, 1869 - 30 जनवरी, 1948)1869: जन्म 2 अक्तूबर, पोरबन्दर, काठियावाड़ में - माता पुतलीबाई, पिता करमचन्द गांधी।
1876: परिवार राजकोट आ गया, प्राइमरी स्कूल में अध्ययन, कस्तूरबाई से सगाई।
1881: राजकोट हाईस्कूल में पढ़ाई।
(2 अक्तूबर, 1869 - 30 जनवरी, 1948)
1869: जन्म 2 अक्तूबर, पोरबन्दर, काठियावाड़ में - माता पुतलीबाई, पिता करमचन्द गांधी।
1876: परिवार राजकोट आ गया, प्राइमरी स्कूल में अध्ययन, कस्तूरबाई से सगाई।
1881: राजकोट हाईस्कूल में पढ़ाई।
1883: कस्तूरबाई से विवाह।
1885: 63 वर्ष की आयु में पिता का निधन।
1887: मैट्रिक पास की, भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया, एक सत्र बाद छोड़ दिया।
1888: प्रथम पुत्र सन्तान का जन्म, सितम्बर में वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड रवाना।
1891: पढ़ाई पूरी कर देश लौटे, माता पुतलीबाई का निधन, बम्बई तथा राजकोट में वकालत आरम्भ की।
1893: भारतीय फर्म के लिये केस लड़ने दक्षिण अफ्रीका रवाना हुए। वहॉ उन्हें सभी प्रकार के रंग भेद का सामना करना पड़ा।
1894: रंगभेद का सामना, वहीं रहकर समाज कार्य तथा वकालत करने का फैसला - नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना की।
1896: छः महीने के लिये स्वदेश लौटै तथा पत्नी तथा दो पुत्रों को नेटाल ले गए।
1899: ब्रिटिश सेना के लिये बोअर युद्ध में भारतीय एम्बुलेन्स सेवा तैयार की।
1901: सपरिवार स्वदेश रवाना हुए तथा दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों को आश्वासन दिया कि वे जब भी आवश्यकता महसूस करेंगे वे वापस लौट आएंगे।
1901: देश का दौरा किया, कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया तथा बम्बई में वकालत का दफ्तर खोला।
1902: भारतीय समुदाय द्वारा बुलाए जाने पर दक्षिण अफ्रीका पुनः वापस लौटे।
1903: जोहान्सबर्ग में वकालत का दफ्तर खोला।
1904: ‘इण्डियन ओपिनियन' साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया।
1906: ‘जुलू विद्रोह' के दौरान भारतीय एम्बुलेन्स सेवा तैयार की - आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। एशियाटिक ऑर्डिनेन्स के विरूद्ध जोहान्सबर्ग में प्रथम सत्याग्रह अभियान आरम्भ किया।
1907: ‘ब्लैक एक्ट' भारतीयों तथा अन्य एशियाई लोगों के ज़बरदस्ती पंजीकरण के विरूद्ध सत्याग्रह।
1908: सत्याग्रह के लिये जोहान्सबर्ग में प्रथम बार कारावास दण्ड आन्दोलन जारी रहा तथा द्वितीय सत्याग्रह में पंजीकरण प्रमाणपत्र जलाए गए। पुनः कारावास दण्ड मिला।
1909: जून - भारतीयों का पक्ष रखने इंग्लैण्ड रवाना नवम्बर - दक्षिण अफ्रीका वापसी के समय जहाज़ में ‘हिन्द-स्वराज' लिखा।
1910: मई - जोहान्सबर्ग के निकट टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना।
1913: रंगभेद तथा दमनकारी नीतियों के विरूद्ध सत्याग्रह जारी रखा - ‘द ग्रेट मार्च' का नेतृत्व किया जिसमें 2000 भारतीय खदान कर्मियों ने न्यूकासल से नेटाल तक की पदयात्रा की।
1914: स्वदेश वापसी के लिये जुलाई में दक्षिण अफ्रीका से रवानगी।
1915: 21 वर्षों के प्रवास के बाद जनवरी में स्वदेश लौटे। मई में कोचरब में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की जो 1917 में साबरमती नदी के पास स्थापित हुआ।
1916: फरवरी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में उद्घाटन भाषण।
1917: बिहार में चम्पारन सत्याग्रह का नेतृत्व।
1918: फरवरी - अहमदाबाद में मिल मज़दूरों के सत्याग्रह का नेतृत्व तथा मध्यस्थता द्वारा हल निकाला।
1919: रॉलेट बिल पास हुआ जिसमें भारतीयों के आम अधिकार छीने गए - विरोध में उन्होंने पहला अखिल भारतीय सत्याग्रह छेड़ा, राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान भी सफल हुआ। अंग़्रेजी साप्ताहिक पत्र ‘यंग इण्डिया' तथा गुजराती साप्ताहिक ‘नवजीवन' के संपादक का पद ग्रहण किया।
1920: अखिल भारतीय होमरूल लीग के अध्यक्ष निर्वाचित हुए - कैसर-ए-हिन्द पदक लौटाया - द्वितीय राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया।
1921: बम्बई में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। साम्प्रदायिक हिंसा के विरुद्ध बम्बई में 5 दिन का उपवास। व्यापक अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।
1922: चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद जन-आन्दोलन स्थगित किया। उनपर राजद्रोह का मुकदमा चला तथा उन्होने स्वयं को दोषी स्वीकार किया। जज ब्रूमफील्ड द्वारा छः वर्ष कारावास का दण्ड दिया गया।
1923: ‘दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह' पुस्तक तथा आत्मकथा के कुछ अंश कारावास के दौरान लिखे।
1924: साम्प्रदायिक एकता के लिये 21 दिन का उपवास रखा - बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए।
1925: एक वर्ष के राजनैतिक मौन का निर्णय।
1927: बारदोली सत्याग्रह सरदार पटेल के नेतृत्व में।
1928: कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन मे भाग लिया-पूर्ण स्वराज का आह्वान।
1929: लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया - ‘पूर्ण स्वराज' के लिये राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ।
1930: ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह - साबरमती से दांडी तक की यात्रा का नेतृत्व।
1931: गांधी इरविन समझौता - द्वितीय गोलमेज परिषद के लिये इंग्लैण्ड यात्रा - वापसी में महान दार्शनिक रोमां रोलां से भेंट की।
1932: यरवदा जेल में अस्पृष्यों के लिये अलग चुनावी क्षेत्र के विरोध में उपवास - यरवदा पैक्ट को ब्रिटिश अनुमोदन तथा गुरूदेव की उपस्थिति में उपवास तोड़ा।
1933: साप्ताहिक पत्र ‘हरिजन' आरम्भ किया - साबरमती तट पर बने सत्याग्रह आश्रम का नाम हरिजन आश्रम कर दिया तथा उसे हमेशा के लिए छोडकर - देशव्यापी अस्पृष्यता विरोधी आन्दोलन छेड़ा।
1934: अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ की स्थापना की।
1935: स्वास्थ्य बिगड़ा - स्वास्थ्य लाभ के लिये बम्बई आए।
1936: वर्धा के निकट से गाँव का चयन जो बाद में सेवाग्राम आश्रम बना।
1937: अस्पृष्यता निवारण अभियान के दौरान दक्षिण भारत की यात्रा।
1938: बादशाह ख़ान के साथ एन. डब्ल्यू. एफ. पी. का दौरा।
1939: राजकोट में उपवास - सत्याग्रह अभियान।
1940: व्यक्तिगत सत्याग्रह की घोषणा - विनोबा भावे को उन्होंने पहला व्यक्तिगत सत्याग्रही चुना।
1942: ‘हरिजन' पत्रिका का पन्द्रह महीने बाद पुनः प्रकाशन - क्रिप्स मिशन की असफलता
- भारत छाड़ो आन्दोलन का राष्ट्रव्यापी आह्वान
- उनके नेतृत्व में अन्तिम राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह।
- पूना के आगाखाँ महल में बन्दी जहाँ सचिव एवं मित्र महादेव देसाई का निधन हुआ।
1943: वाइसरॉय तथा भारतीय नेताओं के बीच टकराव दूर करने के लिये उपवास।
1944: 22 फरवरी - आग़ा ख़ाँ महल में कस्तूरबा का 62 वर्ष के विवाहित जीवन के पश्चात् 74 वर्ष की आयु में निधन।
1946: ब्रिटिश कैबिनेट मिशन से भेंट - पूर्वी बंगाल के 49 गाँवों की शान्तियात्रा जहाँ साम्प्रदायिक दंगों की आग भड़कीं हुई थी।
1947:
- साम्प्रदायिक शान्ति के लिये बिहार यात्रा।
- नई दिल्ली में लार्ड माउन्टबैटेन तथा जिन्ना से भेंट
- देश विभाजन का विरोध
- देश के स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त 1947 को कलकत्ता में दंगे शान्त करने के लिये उपवास तथा प्रार्थना
- 9 सितम्बर 1947 को दिल्ली में साम्प्रदायिक आग से झुलसे जनमानस को सांत्वना देने पहुँचे।
1948:
- जीवन का अन्तिम उपवास 13 जनवरी से 5 दिनों तक दिल्ली के बिड़ला हाउस में - देश में फैली साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में।
- 20 जनवरी 1948 को बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा में विस्फोट।
- 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे द्वारा शाम की प्रार्थना के लियेजाते समय बिड़ला हाउस में हत्या।
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