Tuesday, 6 March 2018

मातृ -पितृ दिवस पर निबंध

हिन्दू परिवारों में यह आम बात है कि बच्चे अपने माता पिता के पैरों को छूकर आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। कुछ बच्चे तो अपने माता पिता के पैर हर दिन सवेरे छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
हिन्दू धर्म में माता पिता की पूजा रिवाजों का एक हिस्सा है। माँ को बच्चों का पहला गुरु माना जाता है और पिता को दूसरा माना जाता है। इसीलिए तो कहा जाता है –
माताः पिताः गुरू दैवं
यह संस्कृत का एक प्रसिद्ध हिन्दू बोल हैं जिसमें माता पिता को शिक्षक का दर्ज़ा बताया गया है। यह वाक्य वेदों और पुराणों से लिया गया है जिसमें माता पिता को सम्मान दिया गया है।
माता पिता हमारा ख्याल रखते है बचपन से लेकर बड़े होने तक। बिना कोई आस के वो हमें पढ़ाते है, लिखाते हैं और साथ ही दिन रात हमारी चिंता करते हैं। हमारा कर्तव्य होता है कि हम अपने माता पिता का सम्मान करें और साथ ही उनका ख्याल रखें।
उनका भी एक ऐसा समय अत है जब उन्हें हमारी जरूरत होती है वो है उनके बुढ़ापे के समय। ऐसे समय में हमें उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
Bhartiya Janata Party (BJP) भारतीय जनता पार्टी सरकार, छत्तीसगढ़ में मुख्य मंत्री रमन सिंह ने 14 फरवरी वैलेंटाइन दिवस को मातृ -पितृ दिवस के रूप में आधिकारिक तौर पर छत्तीसढ़ में मनाने के लिए घोषित किया।
वैसे तो छत्तीसगढ़ में 14 फरवरी को मातृ पितृ दिवस के रूप में 2012 से पूरा राज्य मानते आरहा है। वैसे तो मातृ पितृ दिवस की शुरुवात जेल में बैठे आसाराम बापू ने की थी।
इस व्यवस्था को पूरी तरीके से लागु करने के लिए छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय Directorate of Public Instructions (DPI) ने वर्ष 2017 में घोषित किया कि मातृ पितृ दिवस प्रतिवर्ष 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के दिन मनाया जायेगा।
सरकार ने मातृ पितृ दिवस का दिन पालन करने के लिए 2013-2014 में सर्कुलर भी पास करवाया था।

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Shayari

जो कर दे इशारा तो रुक जाऊंगा,गर करे तू  इशारा तो चुप जाऊंगा l कभी एक इशारा तू कर तो सही, तेरे एक इशारे पे मिट जाऊंगा l